कुंडलिनी (कविता)

कुंडलिनी हे योग शक्ति ,
जगत माता शिव भक्ति,
जगदम्बा जननी जगत की,
सदाशिव योगेश्वर अनंता,
अम्बिका ज्ञानधारा जीवन की;
कुंडलिनी हे अपार शक्ति,
संतोषप्रिया अपूर्व समृद्धि,
ज्ञानज्योति ज्ञानचक्षु की,
धर्मबुद्धि योगपूर्ण समता,
शक्ति हर्षित शांत मन की;
कुंडलिनी हे आत्मशक्ति,
प्रकाशपुंज अदम्य विरक्ति,
प्रबल शक्ति पवित्र मन की,
कांति नारायणी आनंदी,
अमर शोभा मुनि जीवन की।